वक़्त की ओस हूँ यहीं कहीं बेतहाशा मोहब्बत में लिपटा हुआ आसमान के पार जितना दूर है दिल मेरा इल्म है किसको मेरे सिवाए, की धड़क रहा हैं जो दिल यहाँ, यह दिल यहाँ है कहाँ। ज़िंदा कर लिया करता हूँ उसको वो जो अब यहाँ है नहीं, वो है पर यहाँ नहीं। वो मेरी याद में। ‘शायद’ हवाएं लाती हैं कुछ पेह्गाम उसके वक़्त की ओस में लिपटे हुए धुंधले शीशे सी चाहत है उसको। मैं जैसा सोचा करता हूँ , वो अब भी वैसा है। क्या तुमने भी कभी वक़्त की ओस को देखा है।
Virat Nimesh Pheeki: collection of हिंदी lines
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