जिन से मिलना न हुआ उन से बिछड़ कर रोए हम तो आँखों की हर इक हद से गुज़र कर रोए
उम्र भर लड़ता रहा हूँ उस से वो जो इक शख़्स कभी था ही नहीं
एक तस्वीर बनाई है ख़यालों ने अभी और तस्वीर से इक शख़्स निकल आया है