हमे दुबारा खुद को ये याद दिलाने की जरूरत है कि ईश्वर किसी सुख या दुख का वितरक नही है। और न ही वो सुख और दुख को निर्धारित करता है। ये सब तो हमारे खुद के कर्मों के संतुलन या असंतुलन का नतीजा हैं। इसलिये उस भावातीत ईश्वर की प्रार्थना किसी सुख को पाने या किसी दुख से छुटकारा पाने की लालसा से करना एकदम बेकार है। #प्रार्थना द्वारा तो केवल उस आनंद के स्रोत को खोजना है, जो पहले से ही मेरे, आपके और प्रकृति के भीतर सब जगह मौजूद है। उसी ईश्वर को अपने भीतर अनुभव कर के मन मस्तिष्क में शांति का अनुभव करना प्रार्थना है। सहज कर्मों से तथा स्वाभाविक रूप से उस ईश्वरीय अस्तित्व को धारण करना ही प्रार्थना है। ईश्वर कृपा से आने वाला प्रत्येक नया दिन आपके जीवन मे ख़ुशियों की नई सौगात लाये तथा आप पहले से अधिक स्वस्थ, प्रसन्नचित्त, आनंदित, प्रफुल्लित एवं ऊर्जावान हो जायें। आपके संसार में हर्षोल्लास का वातावरण सदैव बना रहे।