यह सम्पूर्ण प्रकृति तथा सृष्टि ईश्वर का ही तो एक मायने में विराट स्वरुप है। इसलिए सभी के प्रति क्षमा, करुणा, सज्जनता तथा प्रेम ही ईश्वर की सच्ची प्रार्थना है। समस्त ब्रह्माण्ड की ज्योति अपने भीतर अनुभव करें। आप सदैव अपने भीतर की शक्ति, निर्मलता, शुचिता, विपुलता तथा ज्ञान के भंडार को सहेज कर रखें। अज्ञान जनित विकारों से मुक्त होकर आत्म अवलोकन, आत्म चिंतन तथा आत्म जागरण के लिए सतत प्रयत्नशील रहें। ईश्वर से विनती है कि आपका आने वाला प्रत्येक नया दिन अपूर्व-सामर्थ्य, अनन्त-ऊर्जा तथा असीम- संभावनाओं से आपूरित रहे। मंगल शुभकामनाएं।